कर्पूरी ठाकुर (24 जनवरी 1924 - 17 फरवरी 1988) एक भारतीय राजनेता थे जो बिहार के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में दो कार्यकाल निभा चुके थे। पहला कार्यकाल दिसम्बर 1970 से जून 1971 तक, और फिर दूसरा कार्यकाल जून 1977 से अप्रैल 1979 तक का था। उन्हें जनता के हीरो के रूप में लोकप्रियता प्राप्त थी। 26 जनवरी 2024 को उन्हें भारत सरकार द्वारा उनके पोस्टह्यूमस रूप में भारत रत्न जो भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है उससे सम्मानित किया जाएगा। जैसा कि 23 जनवरी 2024 को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने घोषणा की थी । 26 जनवरी 2024 को उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। गणतंत्र दिवस के पहले ही दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बड़े सम्मान की घोषणा की है । यह सम्मान उनके साहस और सेवा के प्रति एक श्रद्धांजलि होगा जो उन्होंने बिहार के लोगों के लिए बिताए गए दशकों में दिखाए थे।
जीवनी (कर्पूरी ठाकुर)
कर्पूरी ठाकुर का जन्म गोकुल ठाकुर और रामदुलारी देवी के घर में हुआ था जो पितौंझिया गाँव में स्तिथ है। पितौंझिया गाँव जो अब करपुरी ग्राम के नाम से जाना जाता है यह बिहार के समस्तीपुर जिले में स्तिथ है । वे नाई (नाई) समुदाय से थे। महात्मा गांधी और सत्यनारायण सिन्हा से प्रभावित होकर उन्होंने अपना पथ चुना। उन्होंने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन में शामिल होकर छात्र आंदोलन में भाग लिया। एक छात्र एक्टिविस्ट के रूप में उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई छोड़ दी और 'क्विट इंडिया मूवमेंट' में शामिल हो गए। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी के लिए उन्हें 26 महीने कारागार में बिताने पड़े थे ।
स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद ठाकुर ने अपने गाँव के स्कूल में शिक्षक के रूप में काम किया। वे सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में 1952 में ताजपुर विधानसभा से बिहार विधान सभा के सदस्य बने । उन्हें 1960 में केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सामान्य हड़ताल के दौरान पी एंड टी एम्प्लॉयीज की नेतृत्व करने के लिए गिरफ्तार किया गया । 1970 में उन्हें तेलको श्रमिकों के कारण 28 दिनों तक अनशन करना पड़ा था ।
ठाकुर हिंदी भाषा के प्रशंसक थे और बिहार के शिक्षा मंत्री के रूप में, उन्होंने मैट्रिक्यूलेशन पाठ्यक्रम से अंग्रेजी को अनिवार्य विषय से हटा दिया था । बिहार में इसके परिणामस्वरूप अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा के नीचले स्टर पे पहुँच गई जिससे बिहारी छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा था । ठाकुर ने बिहार के मंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। इससे पहले उन्होंने 1970 में बिहार के पहले गैर-कांग्रेस समाजवादी मुख्यमंत्री बनने का समर्थन किया। उन्होंने बिहार में सर्वप्रथम शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित किया। उनके शासनकाल में बिहार के पिछड़े क्षेत्रों में उनके नाम पर कई स्कूल और कॉलेज स्थापित हुए।
कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें जन नायक के रूप में जनता द्वारा पुकारा जाता था। उनका जीवन एक गाथा थी जिसमें समर्थन, साहस, और देशभक्ति की भावना समाहित थी। उनका प्रतिबद्धता और सेवाभाव उन्हें एक अद्भुत नेता बनाता था जो अपने प्रदेश के उत्थान के लिए समर्पित थे। करपूरी ठाकुर एक सच्चे जननायक थे जिन्होंने अपना जीवन में गरीबों और उत्साही युवाओं के लिए समर्पित किया । उनकी भाषा राष्ट्रीय एकता की भावना से भरी थी और उन्होंने अपने आदर्शों के साथ बिहार को एक नए दिशा में ले जाने का संकल्प किया।
इस गौरवशाली दिन के मौके पर हम सभी उनकी बहादुरी और सेवाभाव को सलाम करते हैं। भारत रत्न के इस श्रेणी में उन्हें सम्मानित करना उनकी महानता को और भी प्रकट करेगा और देशवासियों को एक उत्कृष्ट नेता की याद दिलाएगा। आपकी महानता का हम सभी को गर्व है और आपकी आत्मा को शांति मिले। आपकी सेवा और बलिदान के लिए हम हमेशा कृतज्ञ रहेंगे ।







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